रामचरितमानस | Ramcharitmanas

By: गोस्वामी तुलसीदास - Gosvami Tulaseedas


दो शब्द :

इस पाठ में गोस्वामी तुलसीदास की काव्य-रचना "रामचरितमानस" का महत्व और इसकी विशेषताएँ वर्णित की गई हैं। तुलसीदास की यह रचना केवल साहित्यिक दृष्टि से नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। रामायण का पाठ भारत के हर कोने में किया जाता है और यह विभिन्न भाषाओं में अनूदित होकर विश्वभर में प्रसिद्ध है। लेखक ने उल्लेख किया है कि तुलसीदास ने अपनी रचना में सरल भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पाठकों को समझने में कोई कठिनाई न हो। रामचरितमानस के विचारों ने न केवल लोगों को सदाचारी बनाया है, बल्कि समाज में नैतिकता और धर्म का प्रचार भी किया है। पाठ में यह भी बताया गया है कि रामचरितमानस पर कई विद्वानों ने अध्ययन और आलोचना की है, जिससे इसके विभिन्न पाठों में भिन्नताएँ आई हैं। लेखक ने शुद्ध पाठ की खोज के लिए किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया है। लेखक ने अपनी टीका के माध्यम से पाठकों को यह समझाने की कोशिश की है कि रामायण केवल एक कथा नहीं, बल्कि एक गहन धार्मिक और नैतिक संदेश है। इस टीका का उद्देश्य पाठकों को रामायण के मूल भावार्थ और इसके सांस्कृतिक महत्व से अवगत कराना है। अंत में, लेखक ने पाठकों से निवेदन किया है कि यदि पाठ में कोई अशुद्धियाँ दिखाई दें, तो उन्हें सुधारने का प्रयास करें, क्योंकि रामायण का पाठ केवल साधारण मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक और धार्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।


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