यन्त्र, मंत्र ,तंत्र, विद्या | Yantra Mantra Tantra Vidhya
- श्रेणी: Magic and Tantra mantra | जादू और तंत्र मंत्र ज्योतिष / Astrology साहित्य / Literature
- लेखक: श्री कुन्थु सागर जी महाराज - Shri Kunthu Sagar Ji Maharaj श्री विजयमती माताजी - Shri Vijaymati Mataji
- पृष्ठ : 734
- साइज: 30 MB
- वर्ष: 1954
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दो शब्द :
इस पाठ में यंत्र, मंत्र और तंत्र विद्या के विषय में जानकारी दी गई है। यह ग्रंथ जैन धर्म के आचार्य गणधर कुन्थुसागर जी महाराज द्वारा संग्रहित किया गया है, जिसमें विदुषी रत्न, सम्यकृज्ञान शिरोमणि, सिद्धान्त विशारद गणनी आयिका श्री विजयसती माताजी का योगदान है। ग्रंथ का प्रकाशन विभिन्न संपादकों और प्रबंधकों द्वारा किया गया है, जिनमें शान्ति कुमार गंगवाल और लल्लूलाल जेन गोधा शामिल हैं। ग्रंथ में भगवान बाहुबली की विशाल प्रतिमा और उनके द्वारा किए जाने वाले अभिषेक का विशेष उल्लेख है, जो विश्वभर में आकर्षण का केंद्र है। इस ग्रंथ के माध्यम से पाठकों को यंत्र, मंत्र और तंत्र की विद्या के बारे में गहन जानकारी प्राप्त होती है, जो जैन धर्म के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है। इसकी प्रकाशन तिथि 22 फरवरी, 1681 है, जो कि जैन धर्म के महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक है। यह ग्रंथ धार्मिक शिक्षा और साधना के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करता है।
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