हिंदी - संकेत - लिपि | Hindi Sanket Lipi

By: ऋषिलाल अग्रवाल - Rishilal Agrawal
हिंदी - संकेत - लिपि  | Hindi Sanket Lipi by


दो शब्द :

इस पाठ में हिंदी शीघ्र-लिपि प्रणाली के विकास और उसके उपयोग के बारे में चर्चा की गई है। लेखक ने इस प्रणाली के निर्माण की प्रेरणा और अपनी यात्रा का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने 1622 में इस विचार को पहली बार सोचा, जब वे सरकारी नौकरी में थे। बाद में, विभिन्न कारणों से उन्होंने अपना ध्यान प्रेस स्थापित करने और हिंदी शीघ्र-लिपि के विकास की ओर केंद्रित किया। लेखक ने यह भी बताया कि उन्होंने अंग्रेजी की चार प्रमुख शीघ्र-लिपि प्रणालियों में से पिटमेनस प्रणाली को आधार बनाकर अपनी प्रणाली का विकास किया। उन्होंने अन्य प्रणालियों की सुविधाओं को भी अपने काम में शामिल किया है जिससे कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए एक सरल और प्रभावी शीघ्र-लिपि प्रणाली बनाई जा सके। पुस्तक की विशेषताओं में उल्लेख किया गया है कि यह प्रणाली केवल हिंदी ही नहीं, बल्कि उर्दू और हिंदुस्तानी भाषाओं के लिए भी उपयोगी है। लेखक ने यह भी आशा व्यक्त की है कि यदि लोग इस प्रणाली को अपनाते हैं, तो वे शीघ्र-लिपि में कुशलता हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न व्यक्तियों के प्रति आभार व्यक्त किया है जिन्होंने इस प्रणाली के विकास में उनकी सहायता की। लेखक ने अंत में यह संकल्प लिया है कि वे जीवन के शेष समय को इस प्रणाली के प्रचार-प्रसार में व्यतीत करेंगे और अन्य भाषाओं के लिए भी इसके संस्करण तैयार करेंगे।


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