वृहद हस्तरेखा शास्त्र | Vrihad Hastrekha Shastra

By: डॉ० नारायणदत्त श्रीमाली - Dr. Narayan Dutt shrimali
वृहद हस्तरेखा शास्त्र  | Vrihad Hastrekha Shastra by


दो शब्द :

इस पाठ में हस्तरेखा शास्त्र के महत्व और इसकी उपयोगिता पर चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि हाथ की रेखाएँ न केवल भौतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी इनमें गहरी अर्थवत्ता है। हाथ में मौजूद रेखाएँ और चिन्ह मानव जीवन की घटनाओं का संकेत देती हैं, और इनका अध्ययन करके हम अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य को समझ सकते हैं। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि आज के युग में संघर्ष और चुनौतियाँ अधिक हैं, और हस्तरेखा विज्ञान इस संदर्भ में हमारी सहायता कर सकता है। इस विज्ञान के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि जीवन के तूफान में हमें किस दिशा में बढ़ना चाहिए। पुस्तक में हस्तरेखा शास्त्र के सिद्धांतों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विभिन्न रेखाओं और चिह्नों के अर्थ की व्याख्या की गई है। लेखक ने यह सुनिश्चित किया है कि पुस्तक सरल भाषा में हो ताकि पाठक आसानी से समझ सकें। इसमें भारतीय और पश्चिमी हस्तरेखा विज्ञान के सिद्धांतों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। लेखक का यह मानना है कि भारत को इस क्षेत्र में नेतृत्व करना चाहिए और विश्व को इस ज्ञान से अवगत कराना चाहिए। उन्होंने इस पुस्तक को एक महत्वपूर्ण संसाधन बताया है, जो पाठकों और ज्योतिष के विद्वानों के लिए उपयोगी साबित होगा। संक्षेप में, यह पाठ हस्तरेखा शास्त्र के महत्व, इसके अध्ययन की विधियों, और इस विज्ञान के माध्यम से व्यक्तित्व विकास के संभावित तरीकों पर प्रकाश डालता है।


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