भारतीय वास्तु शास्त्र | Bhartiya vastu Shastra

By: महादेव प्रसाद शुक्ल - Mahadev Prasad shukl


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय वास्तु-विद्या पर एक शोध ग्रंथ का परिचय दिया गया है। लेखक द्विजेन्द्रनाथ शुक्ल ने इस ग्रंथ को प्रस्तुत करते हुए अपने गुरु, विद्वानों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने इस ग्रंथ को भारतीय वास्तु-विद्या के विकास और उसके विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास बताया है। लेखक ने भारतीय वास्तु-शास्त्र को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परखने का उल्लेख किया है। पाठ में वास्तु-विद्या के विभिन्न अध्यायों का सारांश भी प्रस्तुत किया गया है, जिसमें भारतीय वास्तु-विद्या की विशेषताएँ, उसकी परंपरा, और विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के सिद्धांत शामिल हैं। ग्रंथ में वास्तु-विद्या की प्राचीन ग्रंथों जैसे मत्स्यपुराण, अग्निपुराण आदि का संदर्भ लिया गया है, और विभिन्न वास्तु-शास्त्रीय सिद्धांतों का विस्तृत चर्चा की गई है। लेखक ने इस ग्रंथ को पाठकों के लिए उपयोगी और ज्ञानवर्धक बनाने का प्रयास किया है। अंत में, लेखक ने विभिन्न विद्वानों की सहायता और प्रेरणा का उल्लेख करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है, जो उनके शोध और लेखन में सहायक रहे। इस ग्रंथ के माध्यम से भारतीय वास्तु-विद्या के अध्ययन में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।


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