कबीर-ग्रंथावली | Kabir Grathawali

By: श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
कबीर-ग्रंथावली | Kabir Grathawali by


दो शब्द :

यह पाठ कबीरदासजी के ग्रंथों के संग्रहण और प्रकाशन की प्रक्रिया का वर्णन करता है। काशी-नागरी प्रचारिणी सभा ने हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों की जाँच की, जिसमें कबीरदासजी के ग्रंथों की दो महत्वपूर्ण प्रतियाँ मिलीं। इनमें से एक प्रति 1561 की और दूसरी 1881 की है। दोनों प्रतियों में पाठ में बहुत कम भेद पाया गया। संपादक ने यह कार्य पहले पंडित झ्रयेध्यासिंददनी उपाध्याय को सौंपा, लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया। अंततः यह कार्य संपादक ने अपने हाथ में लिया। उन्होंने बताया कि संवत 1561 की प्रति कबीरदासजी की मृत्यु के 14 वर्ष पहले की है और इसमें उनकी रचनाएँ संकलित हैं। संपादक ने यह भी कहा कि इस संस्करण में दिए गए दोहे और पदों की भाषा कबीरदासजी की रचनाओं के अनुरूप है और इसे प्रामाणिक माना जा सकता है। संपादक ने कबीरदासजी की रचनाओं का मिलान गुरु ग्रंथ साहिब से भी किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कबीरदासजी के नाम पर जो अन्य ग्रंथ मिलते हैं, उनकी भाषा आधुनिक है, जबकि इस संग्रह की भाषा 16वीं और 17वीं सदी की हिंदी के अनुरूप है। अंततः, कबीरदासजी के ग्रंथों को यथावत प्रकाशित करने का प्रयास किया गया है, ताकि उनकी भक्ति और भावुकता को सही रूप में प्रस्तुत किया जा सके। इस संस्करण में कबीरदासजी के दो चित्र भी शामिल किए गए हैं।


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