दो शब्द :

पाठ में महाभारत के 'शान्तिपर्व' का एक खंड प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विभिन्न अध्यायों के विषयों का संक्षेप में उल्लेख किया गया है। इसमें युधिष्ठिर, कर्ण, नारद, अर्जुन और भीम जैसी प्रमुख पात्रों के संवाद और घटनाओं का वर्णन है। युधिष्ठिर के पास नारद महर्षि का आगमन और कर्ण के बारे में उनके साथ बातचीत के माध्यम से शाप प्राप्त करने की कथा सुनाई गई है। इसमें कर्ण की वीरता, उसकी पराजय और दुर्योधन के साथ उसके संबंधों का भी उल्लेख है। युधिष्ठिर की चिंताएँ, कुन्ती का समझाना, और अर्जुन का धन और राजधर्म के महत्व पर जोर देना भी शामिल है। युधिष्ठिर का वानप्रस्थ का निर्णय, भीम का विरोध, और अर्जुन द्वारा युधिष्ठिर को समझाना जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का विवरण दिया गया है। साथ ही, राजधर्म, यज्ञ, दान, और ब्राह्मणों के प्रति सम्मान का महत्व भी चर्चा का विषय है। महाभारत के इस खंड में धर्म, कर्तव्य, और शक्ति के संतुलन पर जोर दिया गया है, जो कि भारतीय संस्कृति और नैतिकता का प्रतिबिंब है। पाठ का उद्देश्य पाठकों को महाभारत के गूढ़ संदेशों से अवगत कराना है।


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