पशु चिकित्सा | Pashu chikitsa
- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद
- लेखक: राघो प्रसाद वर्मा - Ragho Prasad Verma
- पृष्ठ : 146
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1938
-
-
Share Now:
दो शब्द :
यह पुस्तक "पशु-चिकित्सा" विशेष रूप से किसानों केため लिखी गई है, जिनकी संख्या भारत की जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ पशुओं की देखभाल और चिकित्सा की अत्यधिक आवश्यकता है, लेकिन इस दिशा में ध्यान देने की कमी है। पुस्तक का उद्देश्य किसानों को गांवों में ही पशुओं की चिकित्सा के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करना है, ताकि वे शहरों में स्थित पशु चिकित्सालयों की दूरी की समस्या का सामना न करें। पुस्तक में पशु रोगों के निदान और चिकित्सा को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे सामान्य लोग भी इसे समझ सकें। इसमें ऐसे औषधियों का उल्लेख किया गया है जो ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध हैं। लेखक ने यह भी सुझाव दिया है कि जिलों के अधिकारियों को इस पुस्तक की प्रतियाँ किसानों तक पहुँचानी चाहिए, ताकि वे पशु चिकित्सा में अधिक सक्षम हो सकें। पुस्तक में बताया गया है कि पशुपालन भारत में प्राचीन काल से चला आ रहा है, लेकिन आज की स्थिति में किसानों की उपेक्षा के कारण हम पशुपालन में पीछे हैं। किसानों को अन्य विकसित देशों के मुकाबले अपनी स्थिति का आकलन करने की आवश्यकता है। पशुओं की देखभाल और उनकी बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा का अभाव है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि स्वस्थ पशु रखने के लिए उचित प्रबंधन और स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए, जिससे रोगों का संक्रमण कम हो सके। पशुओं के स्वास्थ्य की जानकारी रखने के लिए किसानों को कुछ सामान्य लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे कि दूध न देना, उदासीनता, या गोबर में परिवर्तन आदि। पुस्तक में गाय, बैल, भेंस, बकरी, घोड़े और कुत्ते की चिकित्सा के लिए विशेष जानकारी दी गई है। लेखक ने सरल भाषा में बीमारी के लक्षण और उनके उपचार बताए हैं, ताकि किसान अपनी समझ के अनुसार उचित कदम उठा सकें। इस प्रकार, यह पुस्तक किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी और आवश्यक है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.