. नाड़ी दर्शन | Nadi darshan

By: श्री ताराशंकर वैध्य - Shree Taarashankar vaidh


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक ने नाड़ी विज्ञान के महत्व और उसकी प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में उपस्थिति का विवेचन किया है। लेखक ने यह बताया है कि नाड़ी पर हाथ रखकर रोगी की परीक्षा करना एक महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति है, जिसका उल्लेख आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में मिलता है। पाठ की शुरुआत में लेखक ने नवशिक्षित लोगों के विचारों का उल्लेख किया है, जो नाड़ी परीक्षा को ढकोसला मानते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि आयुर्वेद का आधार विभिन्न दर्शनों का समन्वय है, जिसमें न्याय, सांख्य, योग और वेदान्त जैसे दर्शनों का उपयोग किया गया है। चरक और सुश्रुत के सूत्रों में नाड़ी की परीक्षा का संकेत मिलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नाड़ी विज्ञान का महत्व समझा गया है। लेखक ने अपने अनुभवों के आधार पर यह बताया है कि नाड़ी का ज्ञान एकाग्रता और अनुभव से प्राप्त होता है, और यह नाड़ी के माध्यम से रोगों का सही निदान किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा है कि नाड़ी ज्ञान का अध्ययन करने के लिए समर्पण और समय की आवश्यकता होती है। आखिर में, लेखक ने नाड़ी विज्ञान पर हिंदी में एक स्पष्ट और सरल पुस्तक लिखने का प्रयास किया है, ताकि इसे अधिक से अधिक लोग समझ सकें और इस ज्ञान का लाभ उठा सकें। उन्होंने नाड़ी विज्ञान के प्रति लोगों की गलत धारणाओं को दूर करने का भी संकल्प लिया है। इस प्रकार, पाठ में नाड़ी विज्ञान की प्रासंगिकता, उसके अध्ययन की आवश्यकता और उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया गया है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *