दो शब्द :

चाणक्य का परिचय एक महान राजनीतिज्ञ और रणनीतिकार के रूप में दिया गया है, जो चंद्रगुप्त मौर्य के समय में सक्रिय थे। उनका असली नाम विष्णुगुप्त था, लेकिन उनकी बुद्धिमत्ता और कुटिल राजनीति के कारण वे चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मगध के राजाओं को पराजित किया। चाणक्य की शिक्षा तक्षशिला विश्वविद्यालय में हुई थी, और वे साधारण जीवन जीते थे, जो उनके चरित्र की ईमानदारी को दर्शाता है। पाठ में चाणक्य की एक कहानी का उल्लेख है जिसमें एक अत्याचारी राजा नंद का जिक्र है, जिसने निर्दोष लोगों की हत्या करवाई। विकटार नाम का एक व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों के प्रति राजा की क्रूरता से अत्यंत दुखी था और प्रतिशोध लेने की योजना बना रहा था। उसे एक ब्राह्मण, जो चाणक्य था, मिला जो कुशा नामक घास को उखाड़ने का प्रयास कर रहा था। चाणक्य ने बताया कि वह धरती से अनैतिकता और अन्याय को समाप्त करने के लिए प्रयासरत है। पाठ में चाणक्य की राजनीति और नैतिकता पर विचार किया गया है। चाणक्य का मानना था कि समाज और व्यक्तिगत हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। समाज को शिक्षित करना और राजनीति के द्वारा उसे सही दिशा में ले जाना ही उनका मुख्य उद्देश्य था। उन्होंने अपने ग्रंथों के माध्यम से राजनीति की शिक्षा देने का प्रयास किया ताकि लोग अपनी राजशक्ति को समझ सकें और समाज के हित में कार्य कर सकें। चाणक्य की सोच ने यह भी दर्शाया कि राजनीति में नैतिकता और समाज के हित को प्राथमिकता देनी चाहिए। वे यह मानते थे कि जब व्यक्तिगत स्वार्थ समाज के हित से ऊपर हो जाता है, तो समाज में अराजकता और असामाजिक तत्वों का बोलबाला होता है। अंततः, पाठ चाणक्य के राजनीतिक दृष्टिकोण और उनके द्वारा समाज को सिखाए गए नैतिक नियमों पर प्रकाश डालता है, जो आज के समाज के लिए भी प्रासंगिक हैं।


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