रस रत्नाकर | Ras Ratnakar
- श्रेणी: काव्य / Poetry ग्रन्थ / granth भाषा / Language हिंदी / Hindi
- लेखक: हरि शंकर शर्मा - Hari Shankar Sharma
- पृष्ठ : 731
- साइज: 46 MB
- वर्ष: 1945
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में पं. हरिशचंद्र शर्मा द्वारा लिखित ग्रंथ की भूमिका और इसकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है। लेखक ने इस ग्रंथ को हिंदी रसों और नायिका-भेदों का विश्वकोष बताया है, जिसमें गहन विवेचन और स्पष्ट विश्लेषण शामिल हैं। पुस्तक में विभिन्न आचार्यों के मतों का संग्रह किया गया है, जिन्हें लेखक ने बुद्धिसंगत तरीके से परखा है। लेखक ने रस और नायिका-भेद के विषय में बड़े परिश्रम से जानकारी संकलित की है, जिससे यह पुस्तक हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भूमिका में लेखक ने पं. हरिशचंद्र शर्मा की विद्वत्ता और साहित्यिक योगदान की सराहना की है। उन्हें साहित्यिक सेवा में श्रेष्ठ मानते हुए, लेखक ने इस ग्रंथ को हिंदी साहित्य में एक स्थायी कृति माना है। पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें रसों के सिद्धांत का वैज्ञानिक विवेचन किया गया है, जो पाश्चात्य साहित्य से प्रभावित नहीं है। लेखक ने रसों के सिद्धांत को समझाने में सरल भाषा का प्रयोग किया है, जिससे पाठक आसानी से समझ सकें। इस ग्रंथ में नायिका-भेद का विस्तार से वर्णन किया गया है, और इसमें कोई भी अश्लीलता नहीं है। लेखक ने विभिन्न रसों का विवेचन करते समय विभिन्न संस्कृत ग्रंथों और आचार्यों के मतों को शामिल किया है। इसके साथ ही, लेखक की निष्पक्षता और उदार दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की गई है। अंत में, इस पुस्तक को हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य स्रोत बताया गया है, जो काव्यशास्त्र के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में मदद करेगी।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.