-ज्ञानयोग | Gyan yoga

By: स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश यह है कि यह विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं, जैसे आदर्शवाद (Idealism), यथार्थवाद (Realism), और उपयोगितावाद (Utilitarianism) के सिद्धांतों की चर्चा करता है। इसमें यह बताया गया है कि कैसे ये सिद्धांत जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालते हैं और कैसे ये मानव व्यवहार और सोच को आकार देते हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि आदर्शवाद में मनुष्य के विचार और मान्यताएँ महत्वपूर्ण होती हैं, जबकि यथार्थवाद में वास्तविकता और अनुभव को प्राथमिकता दी जाती है। उपयोगितावाद में, क्रियाओं के परिणाम और उनके सामाजिक लाभ पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। पाठ में विभिन्न दार्शनिकों के दृष्टिकोण और उनके विचारों की तुलना की गई है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि कैसे ये विचारधाराएँ समाज में विभिन्न समस्याओं के समाधान की दिशा में योगदान देती हैं। इस प्रकार, यह पाठ दार्शनिक सिद्धांतों के महत्व और उनके सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव को उजागर करता है।


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