दो शब्द :

इस पाठ में स्वामी विवेकानंद के विचारों को संक्षेपित किया गया है, जो उन्होंने हिन्दू धर्म के विभिन्न पहलुओं पर व्यक्त किए हैं। विवेकानंद का कहना है कि हिन्दू धर्म एक प्राचीन और जीवंत धर्म है, जो अपनी आंतरिक शक्ति के कारण आज भी अस्तित्व में है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हिन्दू धर्म के विभिन्न पंथ और विचारधाराएँ वेदों से प्रेरित हैं, जो अनादि और अनंत हैं। विवेकानंद ने यह स्पष्ट किया कि हिन्दू धर्म में विभिन्न विचारों और धाराओं के बावजूद, एक सामान्य आधार है जो सभी को जोड़ता है। उन्होंने वेदों को आत्मा का स्रोत माना और कहा कि आत्मा अमर है, जो शरीर के नष्ट होने के बाद भी जीवित रहती है। वेदों के अनुसार, संसार में कोई भी वस्तु स्थायी नहीं है, और यह सृष्टि और आत्मा का संबंध समय से परे है। उन्होंने यह भी बताया कि मानव जीवन में सुख और दुख का अनुभव उसके पूर्व जन्मों के कर्मों का परिणाम है। इसलिए, मनुष्य को अपने कर्मों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने यह विचार प्रस्तुत किया कि आत्मा और शरीर के बीच का संबंध समझना आवश्यक है, ताकि हम अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकें। इस प्रकार, स्वामी विवेकानंद ने हिन्दू धर्म की व्यापकता और उसकी आध्यात्मिकता को उजागर किया, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रासंगिकता रखता है। उनका संदेश यह है कि आत्मा की पहचान और वेदों के ज्ञान से ही मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को समझ सकता है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *