हिंदी साहित्य का वृहत इतिहास | A Vast History of Hindi Literature

By: डॉ. नगेन्द्र - Dr.Nagendra


दो शब्द :

इस पाठ में हिंदी साहित्य के बृहद् इतिहास की योजना और उसके महत्व पर चर्चा की गई है। काशी नागरीप्रचारिणी सभा ने हिंदी साहित्य के इतिहास को सोलह भागों में प्रकाशित करने की योजना बनाई है, जिसमें प्रमुख विद्वानों का सहयोग लिया गया है। यह इतिहास साहित्यिक प्रवृत्तियों, आंदोलनों, कवियों और लेखकों का समावेश करेगा, और जीवन के विभिन्न पहलुओं से उनके विचारों का विश्लेषण करेगा। हिंदी भाषा भारत के एक बड़े भूभाग की भाषा है और इसमें पिछले एक हजार वर्षों में उत्तम साहित्य का निर्माण हुआ है। यह साहित्य जनजीवन को प्रभावित करता है और समाज को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, इसका ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अध्ययन आवश्यक है। हिंदी साहित्य में लोकसाहित्य को शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जो आम जनता की अनुभूतियों का प्रत्यक्ष चित्रण करता है। विभिन्न प्रदेशों में अप्रकाशित साहित्य का संग्रह और संपादन का कार्य भी किया जा रहा है, जिससे नए सिरे से अध्ययन और विश्लेषण की संभावनाएँ बढ़ी हैं। इस बृहद् इतिहास के लेखन में विभिन्न सिद्धांतों और ऐतिहासिक दृष्टिकोणों का पालन किया जाएगा। साहित्यिक प्रवृत्तियों का समुचित विवेचन किया जाएगा और साहित्य के विभिन्न कालों में उसके रूपों में परिवर्तन का अध्ययन किया जाएगा। लेखन में वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग होगा और भाषा सरल एवं सुबोध होगी। यह योजना अत्यंत विस्तृत और महत्त्वपूर्ण है, जिसमें अनेक विद्वानों का योगदान अपेक्षित है। सभा ने इस कार्य में सरकार से भी सहायता प्राप्त की है। अंततः, यह पाठ हिंदी साहित्य के इतिहास के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके समुचित अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम को दर्शाता है।


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