पदमावति  | The Padumawati by


दो शब्द :

इस पाठ में मलिक मुहम्मद जइसी द्वारा रचित "पदुमावती" या "पद्मावती" नामक महाकविता का परिचय दिया गया है। मलिक मुहम्मद का अस्तित्व शेर शाह के समय में 540 ईस्वी में माना जाता है, और उनकी इस कविता के कई पांडुलिपियाँ उपलब्ध हैं। पदुमावती की विशेषता इसकी प्राचीनता है, जिससे यह हिंदुस्तान के सबसे पुराने स्थानीय कवियों में से एक मानी जाती है। लेखक ने बताया है कि मलिक मुहम्मद ने अपनी कविता को उस समय की वास्तविक बोलचाल की भाषा में लिखा, जिसमें कुछ फ़ारसी शब्दों का मिश्रण है। उनका कार्य उत्तरी भारत की 16वीं सदी की बोलचाल की भाषा की वास्तविक स्थिति का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। यह कविता न केवल एक सुंदर काव्यात्मक रचना है, बल्कि इसमें एक सहिष्णुता की भावना भी है, जो कबीर और तुलसीदास की शिक्षाओं से प्रेरित है। मलिक मुहम्मद के जीवन के बारे में बहुत कुछ ज्ञात नहीं है, लेकिन उन्होंने संस्कृत के काव्यशास्त्र और अलंकारिकी का अध्ययन किया और शेर शाह के दरबार में प्रतिष्ठित रहे। उनके कार्य का कई अन्य लेखकों ने भी उल्लेख किया है। इसके अलावा, पदुमावती की पांडुलिपियों की विविधता और उनके अध्ययन की कठिनाईयों के बारे में भी चर्चा की गई है। इस प्रकार, पाठ में मलिक मुहम्मद जइसी की काव्यकला, उनकी जीवन कहानी और उनके युग की भाषा की स्थिति को समझाने का प्रयास किया गया है।


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