रत्न-परिचय | PRECIOUS- STONES
- श्रेणी: ज्योतिष / Astrology
- लेखक: हरीशचन्द्र विधालंकर - Harishchandra Vidyalankar
- पृष्ठ : 162
- साइज: 6 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में रत्नों का परिचय और उनकी उपयोगिता के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। रत्नों की धारण प्रथा भारत में प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसमें रत्नों को देवी शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना गया है। पाठ में विभिन्न रत्नों के गुण, उनके प्रभाव और उन्हें पहनने के लाभों का वर्णन किया गया है। उदाहरण के लिए, मोती हृदय को बलदायक होता है, सूंगा सस्ता पर गुणकारी होता है, और पुखराज विभिन्न रोगों में लाभकारी माना जाता है। इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को रत्नों की पहचान, उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव, और विशेष परिस्थितियों में किस रत्न का चयन करना चाहिए, जैसे विषयों पर जानकारी प्रदान करना है। रत्नों की उत्पत्ति, उनके भौतिक गुण, और असली व नकली रत्नों के बीच अंतर भी चर्चा का हिस्सा हैं। इसके साथ ही, रत्नों का ज्योतिष में उपयोग और विभिन्न ग्रहों के अनुसार रत्नों का चयन करने की विधि भी बताई गई है। पाठ में रत्नों के अध्ययन के लिए विभिन्न प्राचीन और आधुनिक ग्रंथों का उल्लेख किया गया है, जो रत्न विज्ञान, चिकित्सा और ज्योतिष से संबंधित हैं। इस प्रकार, यह पाठ रत्नों के प्रति जिज्ञासु पाठकों के लिए एक समृद्ध और उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करता है, जिससे वे रत्नों के गुणों और उनके उपयोग के बारे में बेहतर समझ बना सकें।
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