उपनिषद्‌ (ब्रम्हा विदया खंड) | Upnishad( brahma vidhyanath khand )

By: श्रीराम शर्मा आचार्य - Shri Ram Sharma Acharya


दो शब्द :

इस पाठ में उपनिषदों के ज्ञान और ब्रह्मविद्या की महत्ता पर चर्चा की गई है। यह बताया गया है कि सृष्टि और जीवों की उत्पत्ति एक अदृश्य शक्ति या ब्रह्म से होती है, जो समस्त संसार की व्यवस्था को संचालित करती है। उपनिषदों में ज्ञान के महत्व को रेखांकित किया गया है, यह कहते हुए कि केवल क्रियाकांड से सत्य की प्राप्ति नहीं होती, बल्कि ज्ञान और साधना के माध्यम से ही आत्मा की वास्तविकता को समझा जा सकता है। ज्ञान को सबसे बड़ा पुरुषार्थ माना गया है, और इसे जीवन के सभी क्षेत्रों में आवश्यक बताया गया है। ज्ञान के माध्यम से व्यक्ति अपने अज्ञान को दूर कर सकता है और आत्मा की सच्चाई को जान सकता है। उपनिषदों में यह भी कहा गया है कि ज्ञान और योग का अभ्यास करना आवश्यक है, क्योंकि ज्ञान से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। शरीर के तात्कालिक सुख और दुखों की तुच्छता को बताते हुए, उपनिषदों में शरीर की क्षणिकता और इसके अस्थिरता पर ध्यान दिया गया है। यह बताया गया है कि हमारी असली पहचान आत्मा है, न कि शरीर। इसलिए, व्यक्ति को अपने आत्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देह के भौतिक सुखों से परे जाकर आत्मा के शाश्वत सत्य को समझना चाहिए। अंत में, उपनिषदों में यह संदेश दिया गया है कि जीवन में सत्संग, स्वाध्याय, और चिंतन द्वारा ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है, जिससे व्यक्ति आत्मा के अनन्त आनंद को प्राप्त कर सके।


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