ब्रह्मचर्य की शक्ति | Brahmarcharya ki Shakti

By: स्वामी रामतीर्थ - Swami Ramtirth
ब्रह्मचर्य की शक्ति | Brahmarcharya ki Shakti by


दो शब्द :

स्वामी रामतीर्थ का जीवन और विचारधारा एक अद्वितीय प्रेरणा का स्रोत है। वे उन्नीसवीं सदी के महान् विचारक और योगी थे, जिन्होंने भारतीय पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी रामतीर्थ ने ब्रह्मचर्य के महत्व को समझाया और इसे जीवन की सफलता का आधार माना। उनका मानना था कि ब्रह्मचर्य और पवित्रता से ही मनुष्य अपने जीवन में उच्चतम सफलताओं को प्राप्त कर सकता है। स्वामी राम ने जीवन में आने वाले कष्टों का सामना करते हुए हमेशा सकारात्मकता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि आत्मा का आनंद और ज्ञान दूसरों में फैलता है। उनका व्यक्तित्व उन महान आत्माओं के आदर्शों की छवि प्रस्तुत करता है, जिन्होंने वेदों और उपनिषदों की रचना की थी। स्वामी राम ने अपने विचारों से नव वेदान्त का प्रचार किया और इसे मानवता के लिए उपयोगी बनाया। स्वामी राम के अनुसार, ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति में शक्तियों का संचार होता है। उन्होंने हनुमान और लक्ष्मण के माध्यम से यह दर्शाया कि ब्रह्मचर्य से ही महानता प्राप्त होती है। उनका सिद्धांत था कि यदि मनुष्य अपने आप को समझता है और अपने अंतःकरण की शुद्धता को बनाए रखता है, तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है। स्वामी राम ने यह भी कहा कि ब्रह्मचर्य का पालन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी आवश्यक है। उन्होंने उदाहरण देकर सिद्ध किया कि कैसे पवित्रता और संयम से व्यक्ति की शक्ति बढ़ती है। स्वामी रामतीर्थ के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और युवाओं को प्रेरणा देते हैं कि वे अपने जीवन में ब्रह्मचर्य और पवित्रता को अपनाकर सफल हो सकते हैं। उनका संदेश है कि सत्य और पवित्रता का पालन करना ही सच्ची महानता है।


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