काव्यशास्त्र | Kavya shastra
- श्रेणी: काव्य / Poetry साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: भगीरथ मिश्र - Bhagirath Mishr
- पृष्ठ : 323
- साइज: 13 MB
- वर्ष: 1902
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दो शब्द :
इस पाठ में काव्य और उसके विवेचन का महत्व बताया गया है। लेखक डॉ. भगीरथ मिश्र ने काव्य के विभिन्न पक्षों, जैसे कला, वस्तु और भाव पक्ष, की चर्चा की है। उन्होंने बताया है कि काव्य की समीक्षा करते समय इन तीनों दृष्टियों का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि केवल एक पक्ष पर ध्यान देने से काव्य की सम्पूर्णता को नहीं समझा जा सकता। लेखक ने यह भी बताया है कि भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्र में कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं जो काव्य की समझ में सहायक होते हैं। पाश्चात्य विचारकों के सिद्धांतों को भी काव्य की आलोचना में उपयोगी माना गया है। इसके अलावा, काव्य के रचनात्मक पहलुओं, जैसे कवि की प्रतिभा और उसके द्वारा प्रस्तुत विचारों, का भी मूल्यांकन किया गया है। कवि को एक अद्वितीय प्रतिभा माना गया है, जो समाज के लिए अमूल्य होता है। कवि की रचनाएँ जीवन को एक नया दृष्टिकोण देती हैं और काव्य का आनंद मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि काव्य केवल एक कला नहीं है, बल्कि यह जीवन के अनुभवों, भावनाओं और सोच का एक माध्यम है। अंत में, लेखक ने काव्य की सामाजिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक भूमिका पर जोर दिया है और बताया कि काव्य हमें जीवन के गहरे अर्थों की ओर ले जाता है। इस प्रकार, काव्य का अध्ययन और उसकी समीक्षा करते समय सभी पक्षों को ध्यान में रखना आवश्यक है, ताकि हम काव्य की सम्पूर्णता को समझ सकें।
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