हिन्दी का गद्य साहित्य | Hindi ka Gaddh sahitya
- श्रेणी: गधांश / peragraph निबंध / Essay हिंदी / Hindi
- लेखक: रामचन्द्र तिवारी - Ramchandra Tiwari
- पृष्ठ : 352
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1955
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दो शब्द :
इस पाठ में हिंदी गद्य साहित्य के विकास और उसकी विशेषताओं पर चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि हिंदी गद्य का प्रारंभ संस्कृत साहित्य के प्रभाव से हुआ, लेकिन समय के साथ यह एक स्वतंत्र साहित्यिक रूप में विकसित हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी में हिंदी गद्य को आधुनिकता मिली, जब पश्चिमी शिक्षा और विचारधाराओं का प्रभाव हिंदी साहित्य पर पड़ा। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि गद्य के माध्यम से हिंदी में नए विचारों और संवेदनाओं का संचार हुआ। गद्य साहित्य ने न केवल साहित्यिक रूपों को विकसित किया, बल्कि समाज में जागरूकता और परिवर्तन का भी माध्यम बना। इसके अलावा, हिंदी गद्य की विभिन्न विधाओं जैसे निबंध, कहानी और आलोचना का विकास भी महत्वपूर्ण माना गया है। पुस्तक में लेखक ने गद्य साहित्य के इतिहास, उसके विकास और उसके प्रमुख लेखकों का उल्लेख किया है। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदी गद्य ने समय के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को दर्शाया है। अंततः, लेखक ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी गद्य साहित्य का अध्ययन आवश्यक है क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और समाज की गहरी समझ विकसित करता है। यह पुस्तक हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ है, जो गद्य के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती है।
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