सांख्यिकी के मूल तत्त्व | Statics ke mool tatva
- श्रेणी: पाठ्यपुस्तक / Textbook
- लेखक: कैलाश नाथ नागर - Kailash Nath Nagar
- पृष्ठ : 876
- साइज: 20 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश बताते हुए, यह कहा जा सकता है कि आधुनिक युग में सांख्यिकी का महत्व लगातार बढ़ रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में शोध और निर्णय लेने की प्रक्रिया सांख्यिकीय विश्लेषण पर निर्भर करती है। इसलिए, छात्रों के लिए सांख्यिकी के मूल तत्वों और उनके उपयोगों का ज्ञान आवश्यक हो गया है। इस पुस्तक में सांख्यिकी की मूल बातें सरल और रोचक भाषा में प्रस्तुत की गई हैं, जिससे छात्र बिना किसी बाहरी सहायता के विषय को समझ सकें। पाठ्यक्रम में सांख्यिकी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। पुस्तक में सांख्यिकी के विभिन्न कार्य, महत्व, सीमाएँ, अनुसंधान का आयोजन, डेटा संग्रहण, आंकड़ों का विश्लेषण, और सांख्यिकीय विधियाँ जैसे विषयों को समाहित किया गया है। सांख्यिकी के माध्यम से डेटा का संग्रह, उसका विश्लेषण, और परिणामों को प्रस्तुत करने की विधियाँ दी गई हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के सांख्यिकीय माप, जैसे माध्य, अपकिरण, सहसंबंध, और चित्रात्मक प्रस्तुतियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय सांख्यिकी तंत्र और उसके विकास का भी वर्णन किया गया है, जिससे पाठकों को सांख्यिकी की उपयोगिता और व्यावहारिकता का बोध हो सके। कुल मिलाकर, यह पुस्तक सांख्यिकी के मूल तत्वों को समझाने और उनके कार्यान्वयन में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
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