भारतीय नारी | Bhartiya naari
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति Self-Help and Motivational | स्व सहायता पुस्तक और प्रेरक धार्मिक / Religious भारत / India शिक्षा / Education
- लेखक: स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand
- पृष्ठ : 114
- साइज: 2 MB
- वर्ष: 1954
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दो शब्द :
भारतीय नारी पर आधारित इस पाठ में स्वामी विवेकानंद के विचारों के माध्यम से भारतीय स्त्री के आदर्शों, उनकी शिक्षा, विवाह, और वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई है। विवेकानंद ने भारतीय नारी के आदर्श को माता सीता और सावित्री जैसे पौराणिक प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। उनका मानना है कि भारतीय स्त्रियों का आदर्श सहनशीलता, माता के प्रति त्याग, और जीवन में पवित्रता है। पाठ में कहा गया है कि भारतीय स्त्रियों को अपने जीवन में सीता और सावित्री के गुणों को अपनाना चाहिए। सीता का चरित्र धैर्य, समर्पण और कष्टों को सहन करने की शक्ति का प्रतीक है। वे अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करती हैं, परंतु कभी भी अपने पति या परिवार के प्रति कठोर नहीं होतीं। इसी तरह, सावित्री ने अपने पति की मृत्यु के पूर्व उसकी प्रेम में अडिग रहते हुए कष्टों को सहा और अपने पति को यमराज से भी जीत लिया। विवेकानंद के अनुसार, भारतीय नारी का आदर्श केवल भौतिक समृद्धि में नहीं, बल्कि आत्मिक और नैतिक मूल्यों में निहित है। भारतीय संस्कृति में स्त्रियों का स्थान आदर्शवादी और सम्माननीय है, और उन्हें सीता और सावित्री जैसे महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेनी चाहिए। इस प्रकार, पाठ में भारतीय नारी की महानता और उसके आदर्शों का उल्लेख किया गया है, जो आज भी महत्व रखते हैं और समाज में उनकी भूमिका को उजागर करते हैं। भारत की महिलाएं आज भी इन आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास कर रही हैं।
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