दो शब्द :

महाबोधि ग्रन्थमाला का यह तीसरा पुष्प विनय-पिटक का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करता है। इस अनुवाद का उद्देश्य बौद्ध धर्म के अनुयायियों और हिंदी पाठकों के लिए बुद्ध के उपदेशों और नियमों को समझाना है। अनुवादक राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत यात्रा के दौरान इस ग्रंथ का अनुवाद किया, जो 27 दिनों में पूरा हुआ। इस ग्रंथ में बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों के आचार-संबंधी नियमों को संकलित किया गया है, जिसे विनय-पिटक कहा जाता है। यह ग्रंथ बौद्ध धर्म की प्राचीन परंपराओं और आचार संहिताओं का महत्वपूर्ण स्रोत है। प्रकाशकीय निवेदन में महाबोधि सभा द्वारा हिंदी पाठकों के लिए बौद्ध ग्रंथों के अनुवाद का कार्य जारी रखने की आवश्यकता और इसके लिए आर्थिक सहायता की अपील की गई है। इसके अलावा, ग्रंथ के प्रकाशन में सहयोग देने वाले दानियों का भी उल्लेख किया गया है। अंत में, अनुवादक ने अपने अनुभव साझा किए हैं, जिसमें उन्होंने अन्य ग्रंथों के अनुवाद की योजनाओं का भी जिक्र किया है। उनका लक्ष्य बौद्ध ग्रंथों को हिंदी में लाना और उन्हें आम जन तक पहुंचाना है।


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