श्राद्ध विधि | shradh vidhi
- श्रेणी: हिंदू - Hinduism
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 508
- साइज: 38 MB
- वर्ष: 1899
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दो शब्द :
इस पाठ में धर्म और उसके महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक ने धर्म की परिभाषा और उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार किया है। उन्होंने बताया है कि धर्म को समझने के लिए व्यक्ति को उसके गहन तत्वों का अध्ययन करना चाहिए। लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि विभिन्न जातियों और वर्गों के लोग अपने-अपने धर्म को श्रेष्ठ मानते हैं, लेकिन सभी धर्मों का मूल तत्व "अहिंसा परमो धर्मः" है। इसके साथ ही, जैन धर्म का विशेष उल्लेख किया गया है, जिसमें जैन ग्रंथों और आचार्यों की शिक्षाओं का महत्व बताया गया है। लेखक ने यह भी बताया है कि समय के साथ धर्म की समझ बढ़ाने के लिए अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। जैन धर्म के आचार्यों ने विभिन्न विधियों और ग्रंथों के माध्यम से धर्म के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है, जिससे समाज में धर्म की जिज्ञासा और ज्ञान को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, पाठ में श्रावकों के लिए धार्मिक कृत्यों और अनुष्ठानों का महत्व भी बताया गया है, जो उनके जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को संतुलित करने में सहायक होते हैं। इस प्रकार, यह पाठ धर्म के गहरे अर्थ और उसके अभ्यास के महत्व को स्पष्ट करता है, और यह दर्शाता है कि धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं का समावेश करता है।
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