दो शब्द :

इस पाठ में लंदन के नए साल का पहला दिन, 1947 और इलाहाबाद का दृश्य प्रस्तुत किया गया है। काली ऑस्टिन कार के यात्री लुई माउंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय बनने का कार्य सौंपा गया है। भारत में बंटवारे के समय की कठिनाइयों और भारतीयों की अस्थियों के विसर्जन का उल्लेख भी किया गया है। पाठ में बताया गया है कि कैसे युद्ध के बाद लंदन में असंतोष और अभाव का माहौल था। लोगों के पास गर्म पानी और भोजन की कमी थी, और वे दीन-हीन स्थिति में थे। लंदन के लोग एक अद्भुत चीज़, ब्रिटिश पासपोर्ट, के मालिक थे, जिससे उन्हें दुनिया के एक चौथाई हिस्से में जाने का अधिकार था। पाठ में माउंटबेटन की भूमिका को रेखांकित किया गया है, जो भारत के शासन को समाप्त करने का कार्य करने के लिए भेजा गया था। यह कार्य उसके लिए एक आघात था, क्योंकि शासन का त्याग करना एक कठिन निर्णय था। माउंटबेटन की शर्तें स्वीकार कर ली जाती हैं, और उसे यह महसूस होता है कि वह इस कार्य से बच नहीं पाएगा। इस प्रकार, पाठ में भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय की राजनीतिक परिस्थितियों, माउंटबेटन के कार्य और ब्रिटिश साम्राज्य के अंत की ओर बढ़ते कदमों का विस्तृत चित्रण किया गया है।


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