मुझे चाँद चाहिए | Mujhe Chand Chahiye

By: सुरेन्द्र वर्मा - Surendra Verma
मुझे चाँद चाहिए | Mujhe Chand Chahiye by


दो शब्द :

"मुझे चाँद चाहिए" सुरेन्द्र वर्मा की एक रचनात्मक कहानी है जिसमें मुख्य पात्र वर्षा वशिष्ठ की जीवन यात्रा का वर्णन किया गया है। वर्षा एक युवा लड़की है जो अपने जीवन में असंतोष और संघर्ष का सामना कर रही है। उसकी परिस्थितियाँ उसे आत्महत्या या एक साधारण जीवन जीने के विकल्पों की ओर धकेल रही हैं। कहानी की शुरुआत में, वर्षा की सोच और सवालों का जाल प्रस्तुत किया गया है। वह अपने अस्तित्व के उद्देश्य और अपने परिवार की पारंपरिक ज़िंदगी से अलग कुछ चाहती है। उसके जीवन में मिस दिव्या कत्याल का प्रवेश होता है, जो उसकी प्रेरणा बनती हैं। मिस कत्याल एक आकर्षक और प्रतिभाशाली शिक्षिका हैं, जिन्होंने कॉलेज में नाटक का मंचन कर नया अध्याय जोड़ा और वर्षा को अपनी प्रतिभा को पहचानने का अवसर दिया। वर्षा का जीवन उसके परिवार के सदस्यों से भी जूड़ा हुआ है, जिनकी आर्थिक स्थिति साधारण है। परिवार के सदस्यों की सोच और परंपराएं वर्षा के विचारों से मेल नहीं खातीं। वह अपने नाम को बदलकर वर्षा वशिष्ठ बनाती है, ताकि वह अपनी पहचान को नया अर्थ दे सके। कहानी में वर्षा की आंतरिक लड़ाई, परिवार की अपेक्षाएँ, और समाज में उसकी जगह बनाने की कोशिशों का वर्णन किया गया है। वर्षा का संघर्ष उसके आत्म-सम्मान और स्वतंत्रता के लिए है। इस प्रकार, यह कहानी एक युवा लड़की की आकांक्षाओं और उसकी पहचान की खोज की यात्रा को दर्शाती है, जो उसे अपने सपनों की ओर ले जाती है।


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