चर्म रोग चिकित्सा | Charm rog Chikitsa
- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद साहित्य / Literature
- लेखक: डॉ. डिम्पल शाह - Dr. Dimpal Shah
- पृष्ठ : 150
- साइज: 7 MB
- वर्ष: 2004
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दो शब्द :
इस पाठ में चर्मरोगों और उनकी चिकित्सा के विषय में चर्चा की गई है। लेखिका, डा. डिम्पल शाह, बताती हैं कि बच्चों और बड़ों में चर्म रोगों की विशेषताएँ भिन्न होती हैं। बच्चों में रोग की तल्पिक गति और प्रतिकारिता का स्तर अलग होता है, जिससे रोग प्रकट होने के तरीके भी भिन्न होते हैं। कुछ चर्म रोग केवल बच्चों या केवल बड़ों में होते हैं। उदाहरण के लिए, व्यावसायिक चर्म रोग केवल बड़ों में पाए जाते हैं, जबकि कुछ अन्य रोग नवजात शिशुओं में होते हैं। पुस्तक में चर्मरोग चिकित्सा के क्षेत्र में छात्रों और चिकित्सकों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है। चर्मलोचन, जिसे आयुर्वेद की एक शाखा माना जाता है, का विकास प्राचीन काल से हुआ है और इसमें चर्म रोगों का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन साहित्य में भी चर्म रोगों का वर्णन मिलता है, जैसे कि चीनी और मिस्री ग्रंथों में। आधुनिक चिकित्सा में, चर्मरोगों का वर्गीकरण और अध्ययन विभिन्न वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से किया जाता है। लेखिका ने चर्मरोगों के विकास, उनके कारणों और चिकित्सा पद्धतियों का ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया है कि कैसे वैज्ञानिक प्रगति के साथ चर्मरोगों का ज्ञान बढ़ा है। चर्मरोगों की चिकित्सा में भौतिकीय विधियों, प्राकृतिक घटकों से चिकित्सा, और विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों का वर्गीकरण किया जाता है। इस प्रकार, यह पाठ चर्मरोगों के अध्ययन और चिकित्सा के विकास की एक व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिसमें प्राचीन काल से लेकर आधुनिक चिकित्सा तक के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है।
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