हायर संस्कृत व्याकरण | Hayar sanskrit Grammar
- श्रेणी: संस्कृत /sanskrit
- लेखक: मोरेश्वर रामचंद्र काले - Moreshwar Ramchandra Kale
- पृष्ठ : 693
- साइज: 11 MB
- वर्ष: 1964
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दो शब्द :
यह पाठ "हु/थुर संचछला पाछाए" शीर्षक के अंतर्गत एक वृहत संस्कृत-व्याकरण की पुस्तक का विवरण प्रस्तुत करता है, जिसका हिंदी में अनुवाद डॉ. कपिलदेव द्विवेदी आचार्य द्वारा किया गया है। मूल लेखक मोरेश्वर रामचंद्र काले हैं। इस पुस्तक में संस्कृत व्याकरण का व्यापक और गहन अध्ययन किया गया है। इसमें वर्णमाला, सन्धि-नियम, शब्दसूत्र, सर्वनाम, समास, उपपद-समास, अव्यय, प्रत्यय, लिंग विचार, उपसर्ग, निपात, वाक्य विन्यास, और छंद शास्त्र जैसे विभिन्न अध्याय शामिल हैं। हर अध्याय में संबंधित विषयों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसमें शब्दों के रूप, धातुओं की प्रक्रिया, और व्याकरण संबंधी विशेषताएं शामिल हैं। पुस्तक के अंतर्गत व्याकरण के विभिन्न सिद्धांतों और नियमों को समझाने के लिए उदाहरण और सूत्र दिए गए हैं। यह पुस्तक व्याकरण के अध्ययन में रुचि रखने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो संस्कृत भाषा और साहित्य की गहन समझ प्रदान करती है। अनुवादक ने मूल पुस्तक के सम्पूर्णता को बनाए रखते हुए सरल और स्पष्ट भाषा में अनुवाद करने का प्रयास किया है, ताकि पाठक इसे आसानी से समझ सकें। पुस्तक का उद्देश्य संस्कृत व्याकरण के अध्ययन में सहायता प्रदान करना और छात्रों की व्याकरण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना है।
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