अभिनव शरीर क्रिया विज्ञान | Abhinav Sharir kriya vigyan
- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद विज्ञान / Science
- लेखक: प्रियव्रत शर्मा - Priyavrat Sharma
- पृष्ठ : 653
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1954
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दो शब्द :
यह पाठ जीवकोश (कोशिका) और उसके विभिन्न प्रकार के तंतुओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसमें कोशिका के संरचनात्मक तत्वों और उनके कार्यों का वर्णन किया गया है। मुख्यतः चार प्रकार के तंतु बताए गए हैं: आवरक तंतु, संयोजक तंतु, पेशी तंतु, और नाड़ी तंतु। आवरक तंतु का कार्य शरीर के बाह्य और आंतरिक स्तरों को ढक कर उनकी सुरक्षा करना है। इसे सामान्य और स्तरित आवरक तंतु में वर्गीकृत किया गया है। सामान्य आवरक तंतु तीन प्रकार का होता है: शल्की, स्तम्भाकार, और रोमिकाय। संयोजक तंतु विभिन्न अंगों और संरचनाओं को जोड़ने का कार्य करते हैं और इनमें कई प्रकार के संयोजक तंतु शामिल हैं, जैसे सौच्रिक, तरुगास्थि, और जस्थि। पेशी तंतु मांसपेशियों के निर्माण में सहायक होते हैं, जबकि नाड़ी तंतु शरीर के संवेदी और संचार कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, यह पाठ कोशिकाओं और तंतुओं के विज्ञान के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत वर्णन करता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कैसे ये तंतु शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली में योगदान देते हैं।
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