यूनानी सिद्ध योग संग्रह | Yunani siddh yoga Sangrah

By: वैद्यराज बाबू दलजीत सिंह - Vaidyaraj Babu Daljeet Singh
यूनानी सिद्ध योग संग्रह  | Yunani siddh yoga Sangrah by


दो शब्द :

इस पाठ में आयुर्वेद, यूनानी और एलोपैथी चिकित्सा पद्धतियों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने बताया है कि प्राचीन काल में आर्यवैदिक चिकित्सा न केवल उपयोगी थी, बल्कि इसके सिद्धांत भी स्पष्ट और समृद्ध थे। विभिन्न संस्कृतियों ने इससे ज्ञान प्राप्त किया। आधुनिक युग में मुस्लिम आक्रमणों के बाद यूनानी चिकित्सा का प्रचार हुआ, और फिर पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों का आगमन हुआ। लेखक ने तीनों चिकित्सा पद्धतियों की विशेषताओं और उनके योगदान का उल्लेख किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी पद्धतियों के सिद्धांत भिन्न हो सकते हैं, लेकिन अंतर्निहित उद्देश्य मानव स्वास्थ्य की भलाई है। आगे, लेखक ने आयुर्वेद के विकास में आने वाली बाधाओं का उल्लेख किया और कहा कि समय के साथ अन्य पद्धतियों ने आयुर्वेद को समृद्ध किया है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों को पूर्वाग्रह और संकीर्णता को छोड़कर अन्य पद्धतियों का स्वतंत्रता से अध्ययन करना चाहिए, ताकि वे अपनी पद्धति को और समृद्ध बना सकें। अंत में, लेखक ने अपने द्वारा लिखे गए "आयुर्वेदिक विश्वकोष" का उल्लेख किया और उसमें अन्य चिकित्सा पद्धतियों के तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता की बात की। उन्होंने विभिन्न ग्रंथों के प्रकाशन और उनके योगदान का भी उल्लेख किया और अपने सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।


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