दो शब्द :

पाठ में बटुकचंद नामक एक व्यक्ति की कहानी है, जो एक अपरिचित आदमी से एक बंद लिफाफा प्राप्त करता है। लिफाफे में एक खतरनाक संदेश होता है, जिसमें कहा गया है कि उसे एक बड़ी रकम, एक लाख रुपए, एक निश्चित समय सीमा के भीतर देने होंगे। अगर वह ऐसा नहीं करता, तो उसे अपने बेटे की लाश मिलेगी। बटुकचंद इस भयावह स्थिति से घबराए हुए हैं और चिंतित हैं कि उनका बेटा कहीं खतरे में न हो। बटुकचंद अपने नौकर से अपने बेटे की खोज करने के लिए कहते हैं, लेकिन उन्हें चिंता होती है कि कहीं रामगोविंद नामक नौकर ने उनके बेटे को लेकर भाग न गया हो। जब उनके नौकर बेटे को खोजने के लिए बाहर जाते हैं, तो वे रामगोविंद को चोटिल अवस्था में वापस लाते हैं। रामगोविंद बताता है कि कुछ लोगों ने उसे पकड़ा और उसके बेटे को छीनने की कोशिश की। कहानी का अगला भाग एक अलग स्थान पर स्थित है, जहां एक ऊँचे टीले पर एक छोटा सा मकान है। वहाँ एक युवा आदमी है, जो गंगा के किनारे बैठा है। वह मोटर बोट की आवाज सुनता है और उसकी ओर देखता है। जैसे ही बोट पास आती है, वह देखता है कि कुछ लोग उसमें से उतरते हैं और उनसे बातचीत करता है। कहानी में चिंता, भय और रहस्य का माहौल है, जिसमें बटुकचंद की स्थिति और उसके बेटे की सुरक्षा को लेकर तनाव बढ़ता है। पाठ के अंत में, युवा आदमी और उसके साथियों के बीच बातचीत होती है, जिससे उनकी योजनाओं का संकेत मिलता है।


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