संस्कृत व्याकरण दर्शन | Sanskrit Vyakaran Darshan

By: रामसुरेश त्रिपाठी - Ramsuresh Tripathi


दो शब्द :

इस पाठ में "संस्कृत व्याकरण दशन" नामक पुस्तक का परिचय और इसकी रचना की पृष्ठभूमि का वर्णन किया गया है। लेखक रामसुरेश त्रिपाठी ने इस ग्रंथ को आगरा विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए प्रस्तुत किया था, और यह संस्कृत व्याकरण पर उनके शोध का परिणाम है। ग्रंथ में व्याकरण संबंधी विभिन्न विचारों का समावेश किया गया है, जिनका आधार प्राचीन आचार्यों के शिक्षण और विचारधारा पर है। पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के माध्यम से संस्कृत व्याकरण के प्रमुख तत्वों जैसे वाक्य, ध्वनि, पद, क्रिया, काल, उपग्रह, पुरुष, कारक, वाक्य की प्रक्रिया, और वाक्य विचार पर चर्चा की गई है। यह व्याकरण के विकास के इतिहास और विभिन्न आचार्यों जैसे पाणिनि, व्याड़ी, कात्यायन, और पतंजलि के योगदान को भी उजागर करता है। पाणिनि के समय से लेकर विभिन्न आचार्यों के विचारों का संकलन करते हुए, लेखक ने व्याकरण के सिद्धांतों और उनके व्याख्याओं को प्रस्तुत किया है। इस ग्रंथ के माध्यम से संस्कृत व्याकरण की समृद्धि और उसकी गहराई को समझाने का प्रयास किया गया है, जिसमें प्राचीन भारतीय विचारधारा का समावेश है। लेखक ने अपने शिक्षक और सहयोगियों का भी स्मरण किया है, जिन्होंने इस कार्य में उनकी सहायता की। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा और व्याकरण के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होगा।


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