जुकाम खांसी दमा की सफल प्राकृत चिकित्सा | Jukam Khasi Dama Ki Safal Prakrit Chikitsa
- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद Self-Help and Motivational | स्व सहायता पुस्तक और प्रेरक
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 86
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
इस पाठ में प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक का कहना है कि यदि स्वास्थ्य दवाओं से प्राप्त होता, तो कोई भी डॉक्टर या उनके परिवार का सदस्य बीमार नहीं होता। स्वास्थ्य केवल दवाइयों से नहीं, बल्कि संयम और प्राकृतिक चिकित्सा के नियमों के पालन से प्राप्त होता है। प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान और अभ्यास बिना दवा के जीवन भर स्वस्थ रहने की संभावना प्रदान करता है। लेखक यह भी बताता है कि दवाएं अस्थायी राहत प्रदान करती हैं, जबकि प्राकृतिक चिकित्सा स्थायी स्वास्थ्य और रोग से मुक्ति दिलाती है। वे यह सुझाव देते हैं कि व्यक्ति यदि नशे और अन्य व्यसनों का खर्च बचाए, तो वह स्वास्थ्यवर्धक चीजें जैसे फल और दूध खरीद सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा का ज्ञान हमारे प्राचीन भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है, जिसे विदेशी लोगों द्वारा परिष्कृत किया गया है। लेखक का मानना है कि प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान की अपनी मौलिकता और प्रभावशीलता है, जिससे रोगी निराश होकर इस दिशा में प्रवृत्त होते हैं। इस पाठ में महात्मा जगदीश्वरानंद जी की कृतियों का उल्लेख भी है, जो प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लेखक का कहना है कि वह केवल मार्गदर्शन कर सकते हैं और वास्तविक उपचार रोगी को अपनी इच्छाशक्ति और संयम से ही करना होता है। अंत में, लेखक पाठकों को प्रेरित करते हैं कि वे प्राकृतिक चिकित्सा की विधियों को अपनाएं और अपने जीवन को रोगमुक्त और सुखमय बनाएं।
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