स्त्री और पुरुष | Stree Or Purush
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति महिला / Women
- लेखक: श्री बैजनाथ महोदय - Shri Baijnath Mahoday
- पृष्ठ : 160
- साइज: 5 MB
- वर्ष: 1941
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दो शब्द :
इस पाठ में टॉल्स्टॉय के विचारों के माध्यम से स्त्री और पुरुष के बीच के संबंधों पर गहन चिंतन किया गया है। टॉल्स्टॉय ने विवाह और दाम्पत्य जीवन को आदर्श रूप में देखने का प्रयास किया है और इस संदर्भ में उन्होंने मानवता की सेवा और आत्मिक विकास पर जोर दिया है। उन्होंने विवाह के सच्चे उद्देश्य को समझाने का प्रयास किया है, जिससे समाज में बढ़ते नैतिक पतन और भौतिकता की प्रवृत्तियों का सामना किया जा सके। पाठ में यह भी बताया गया है कि आज के समाज में विषयभोग को स्वास्थ्य के लिए आवश्यक समझा जाता है, जबकि यह एक प्रकार की कायरता है। टॉल्स्टॉय का यह मानना है कि संयम और सरल जीवन जीना अधिक स्वास्थ्यवर्धक और नैतिक है। उन्होंने यह भी कहा है कि समाज में बुराइयों को समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि युवाओं को सही शिक्षा दी जाए, ताकि वे विवाह से पहले और बाद में अपने संबंधों को समझें और उन परिपाटियों को अपनाएं जो मानवता को ऊंचा उठाती हैं। इसके अतिरिक्त, टॉल्स्टॉय ने संतति-निरोध के कृत्रिम उपायों को नकारते हुए यह बताया है कि यह न केवल नैतिकता का उल्लंघन है, बल्कि यह जीवन के प्राकृतिक क्रम के खिलाफ भी है। उन्होंने यह सुझाव दिया है कि बच्चों का पालन-पोषण ऐसे तरीके से किया जाना चाहिए कि वे विवेकशीलता और नैतिकता के सिद्धांतों को समझें और उनका पालन करें। इस प्रकार, पाठ में विवाह, दाम्पत्य जीवन, संयम, और सही शिक्षा के महत्व पर विचार करते हुए, टॉल्स्टॉय ने मानवता के उच्च आदर्शों की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
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