समाजशास्त्र : विवेचना एवं परिप्रेक्ष्य | Samajshastra: Vivechana Avam Pariprekshya

By: मुकेश - Ahuja राम आहूजा - Ram Ahuja
समाजशास्त्र : विवेचना एवं परिप्रेक्ष्य | Samajshastra: Vivechana Avam Pariprekshya by


दो शब्द :

यह पाठ समाजशास्त्र की एक पुस्तक का सारांश है, जिसमें समाजशास्त्र की मूलभूत धारणाओं और सिद्धांतों को प्रस्तुत किया गया है। लेखक राम आहूजा और मुकेश आहूजा ने पुस्तक को इस उद्देश्य से लिखा है कि समाजशास्त्र को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया जा सके, ताकि पाठक इसे अपने अनुभवों से जोड़ सकें। पुस्तक में समूह, समाज, सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक संस्थाएँ जैसे महत्वपूर्ण विषयों का समावेश किया गया है। लेखक ने समाजशास्त्र की विषय वस्तु को इस प्रकार व्यवस्थित किया है कि यह न केवल उच्च पाठ्यक्रमों के लिए सहायक हो, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सके। पुस्तक में विभिन्न समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्यों और सिद्धांतों का विश्लेषण किया गया है, साथ ही समाजशास्त्र के संस्थापकों और उनके योगदान का भी उल्लेख किया गया है। इस पाठ में समाजशास्त्र के विकास, इसकी परिभाषा, इसके महत्व और विविध धाराओं पर भी चर्चा की गई है। लेखक ने समाजशास्त्र की जटिलताओं को सरल शब्दावली में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, ताकि पाठक इसे आसानी से समझ सकें। उन्होंने पाठकों से सुझाव देने का अनुरोध भी किया है, ताकि आगे के संस्करणों को और बेहतर बनाया जा सके।


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