स्कन्द पुराण | Skanda Purana

By: श्रीराम शर्मा आचार्य - Shri Ram Sharma Acharya


दो शब्द :

इस पाठ में स्कन्दपुराण के माहेश्वर खंड का वर्णन किया गया है, जिसमें भगवान शिव की महिमा, उनके पूजन का महत्व और प्रजापति दक्ष के यज्ञ की कथा शामिल है। पाठ की शुरुआत में ऋषियों द्वारा भगवान शिव के महात्म्य के बारे में पूछा जाता है। वे यह जानना चाहते हैं कि शिव की पूजा से कौन-कौन से पुण्य फल प्राप्त होते हैं और इसका महत्व क्या है। इसके बाद, दक्ष प्रजापति की कथा प्रस्तुत की जाती है। दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। यज्ञ के समय भगवान शिव की अनुपस्थिति से दक्ष क्रोधित होते हैं। भगवान शिव का अपमान करते हुए दक्ष ने उन्हें शाप देने का निर्णय लिया। नंदी, जो भगवान शिव का भक्त हैं, दक्ष के इस अपमान के खिलाफ आवाज उठाते हैं और दक्ष को उनकी गलती के लिए चेतावनी देते हैं। इस पाठ में भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का महत्व बताया गया है। यह स्पष्ट होता है कि भगवान शिव सभी देवताओं के स्वामी हैं और उनकी पूजा से सभी प्रकार के पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पाठ के अंत में यह संदेश दिया गया है कि जो व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करता है, वह संसार के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस प्रकार, पाठ भगवान शिव की महिमा, उनकी पूजा के फल और दक्ष प्रजापति के अपमान की कथा को समेटे हुए है, जो भक्ति एवं श्रद्धा के महत्व को उजागर करता है।


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