सूरसागर | Sur Sagar
- श्रेणी: Hindu Scriptures | हिंदू धर्मग्रंथ जीवनी / Biography धार्मिक / Religious हिंदू - Hinduism
- लेखक: श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji
- पृष्ठ : 694
- साइज: 64 MB
- वर्ष: 1896
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दो शब्द :
इस पाठ में सूरदास जी के जीवन और उनकी साहित्यिक उपलब्धियों का वर्णन किया गया है। सूरदास जी एक प्रमुख कवि और भक्त थे, जिनका जीवन और कार्य विशेष रूप से भक्ति साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनके समय का निर्धारण करना थोड़ा कठिन है, लेकिन यह ज्ञात है कि वे श्रीवह्ठभाचार्य महाप्रभु के शिष्य थे। सूरदास जी का जन्म संवत 1535 में हुआ और उनका निधन संवत 1642 के बीच माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में कई पदों की रचना की, जिनमें से एक लाख पदों की संख्या उनकी दीर्घायु का प्रमाण है। उनकी रचनाएँ, विशेषकर 'सूरसागर', भक्ति और प्रेम की गहराई को दर्शाती हैं। सूरदास जी का नाम भारत में इतना प्रसिद्ध हो गया कि अंधे भी उन्हें पहचानते थे। उनके जीवन की कहानियाँ और उनकी भक्ति के प्रसंग अन्य ग्रंथों में भी उल्लेखित हैं। सूरदास जी की शैली और काव्य में भावनात्मक गहराई है, और उनका साहित्य भक्तिपूर्ण अनुभवों को व्यक्त करता है। उनकी रचनाएँ आज भी भक्ति साहित्य का हिस्सा हैं और उनके जीवन के कई पहलुओं का अध्ययन किया गया है। सूरदास जी की महत्वपूर्णता को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि उनका योगदान भारतीय साहित्य और संस्कृति में अमूल्य है।
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