निर्मला | Nirmala Hindi Book
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति इतिहास / History
- लेखक: प्रेमचंद - Premchand
- पृष्ठ : 300
- साइज: 10 MB
- वर्ष: 1928
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दो शब्द :
इस पाठ में उदयभानुलाल के परिवार की दो कन्याओं, निर्मला और ऋष्णा, के जीवन के बदलाव की कहानी प्रस्तुत की गई है। परिवार में विवाह की तैयारियाँ चल रही हैं और निर्मला की शादी तय हो गई है। निर्मला, जो पहले चंचल और खुशमिजाज थी, अब विवाह के दबाव के चलते गंभीर और चिंतित हो गई है। दूसरी ओर, ऋष्णा, जो छोटी है, अपनी बहन के विवाह को लेकर भयभीत है कि कहीं उसे भी इसी तरह घर से निकाल न दिया जाए। निर्मला और ऋष्णा की बातचीत में यह स्पष्ट होता है कि ऋष्णा अपनी दीदी के बिना अकेलेपन का अनुभव कर रही है और उसे अपनी बहन की विदाई का डर है। दोनों बहनों के बीच की यह भावनात्मक बातचीत विवाह की वास्तविकता को दर्शाती है, जिसमें महिलाओं के जीवन में परिवार और समाज की अपेक्षाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पाठ में निर्मला की मानसिक स्थिति को गहराई से चित्रित किया गया है। वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और एक रात एक स्वप्न में नदी के किनारे खड़ी होती है, जहाँ वह अपने अकेलेपन और भविष्य के अनिश्चितता का सामना कर रही होती है। यह स्वप्न उसे एक मछुआरे और एक टूटी नाव के माध्यम से अपनी स्थिति की कठिनाइयों का अहसास कराता है। इस प्रकार, पाठ में विवाह की तैयारियों और उसके प्रभावों के माध्यम से महिलाओं के जीवन की जटिलताएँ और सामाजिक दबाव को प्रस्तुत किया गया है।
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