वनौषिधि चन्द्रोदय | Vanoshidhi chandroday

By: चन्द्रराज भंडारी विशारद - Chandraraj Bhandari Visharad


दो शब्द :

इस पाठ में सेठ गंदालालजी बड़जात्या के जीवन और कार्यों का वर्णन किया गया है। उनका जन्म इंदौर में एक साधारण परिवार में हुआ था और उनके पिता का निधन होने के बाद उनकी माता ने उनका पालन-पोषण किया। उन्होंने मात्र 14 वर्ष की आयु में व्यापारिक जीवन में कदम रखा और अति शीघ्र ही इंदौर के प्रमुख दलालों में से एक बन गए। उनकी व्यापारिक सफलता के साथ-साथ धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा भी बढ़ी। उन्होंने मिल व्यवसाय में भी कदम रखा और कई सफलताएँ प्राप्त कीं। सेठ गंदालालजी ने अनेक धार्मिक और समाजसेवी कार्य किए, जिसमें जैन मंदिर का निर्माण और विभिन्न दान शामिल हैं। उनकी पत्नी श्रीमती हीराबाई एक सरल और धार्मिक महिला थीं, जिन्होंने विभिन्न जैन तीर्थ स्थलों की यात्रा की। सेठ गंदालालजी के चार पुत्र और एक पुत्री हुई, जो उनके व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं। सेठ गंदालालजी का जीवन यह संदेश देता है कि कठिन परिस्थितियों में भी कर्मठता और साहस से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनका निधन 1998 में हुआ, लेकिन उनके चारों पुत्र उनके व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं और समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखे हुए हैं।


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