महामानव बुद्ध | Mahamanav Buddh

By: राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan


दो शब्द :

इस पाठ में भगवान बुद्ध के जीवन, उनकी शिक्षाओं और दर्शन का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। सिद्धार्थ गौतम का जन्म 563 ई. पू. के आस-पास हुआ और वह शाक्यों के राजा शुद्धोदन के पुत्र थे। सिद्धार्थ का जीवन प्रारंभ से ही विलासिता में व्यतीत हुआ, लेकिन उन्होंने संसार के दुखों का अनुभव करने के बाद गृहत्याग करने का निर्णय लिया। सिद्धार्थ ने गृहस्थ जीवन को छोड़कर योग और तपस्या की ओर अग्रसर हुए। उन्होंने विभिन्न गुरुजनों से शिक्षा ली और अंत में बोधगया में कठिन तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त किया। इस ज्ञान के फलस्वरूप वे "बुद्ध" कहलाए, जिसका अर्थ है "ज्ञान प्राप्त व्यक्ति"। बुद्ध ने अपने पहले उपदेश में मध्यम मार्ग का अनुसरण करने की बात कही, जो दोनों चरमपंथों (काम-सुख में लिप्त होना और शरीर को कष्ट देना) से दूर है। उन्होंने चार आर्य सत्य भी प्रस्तुत किए: (1) दुःख, (2) दुःख का कारण, (3) दुःख का निरोध, और (4) दुःख के निरोध का मार्ग। बुद्ध ने यह भी बताया कि जीवन में दुःख का सामना करना और उसे समझना आवश्यक है। उन्होंने अपने अनुयायियों को यह सिखाया कि मृत्यु, जन्म, वृद्धावस्था और शोक सभी दुःख के हिस्से हैं। इस प्रकार, इस पाठ में बुद्ध के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके ज्ञान और उनकी शिक्षाओं का सार प्रस्तुत किया गया है।


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