अशोक के फूल | Ashok Ke Phool by


दो शब्द :

"अशोक के फूल" निबंध में लेखक हज़्वारीप्रसाद द्विवेदी ने भारतीय संस्कृति और साहित्य में अशोक के फूलों के महत्व का वर्णन किया है। लेखक ने यह बताया है कि कैसे अशोक के ये छोटे-छोटे लाल पुष्प भारतीय जीवन में एक विशेष स्थान रखते हैं। द्विवेदीजी का मानना है कि अशोक का फूल भारतीय साहित्य में एक समृद्धि और सौंदर्य का प्रतीक है, जो कालिदास के काव्य में विशेष रूप से उभरकर सामने आया। लेखक ने इस फूल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे यह पुष्प भारतीय संस्कृति में विभिन्न कालों में अदृश्य रहा, विशेषकर मुस्लिम शासन के दौरान। उन्होंने यह भी संकेत किया कि अशोक के फूलों का उल्लेख पहले नहीं था, लेकिन कालिदास के काव्य में यह पुष्प एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। द्विवेदीजी ने यह विचार भी व्यक्त किया कि अशोक का फूल केवल एक प्राकृतिक वस्तु नहीं, बल्कि यह भारतीय धर्म, साहित्य और शिल्प का एक अद्भुत हिस्सा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अशोक का फूल एक आयेतर सभ्यता की देन है, जिसमें गंधर्वों और यक्षों का योगदान शामिल है। लेखक ने अंत में यह विचार प्रकट किया कि भारतीय संस्कृति में विभिन्न जातियों और सभ्यताओं का मिश्रण है, और अशोक का फूल इस मिश्रण का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। उन्होंने पुष्पों के प्रति हमारे अज्ञान और उनके सांस्कृतिक महत्व को पहचानने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। इस प्रकार, "अशोक के फूल" निबंध में द्विवेदीजी ने भारतीय संस्कृति की गहराई और उसके पारंपरिक मूल्यों की बात की है।


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