उड्डीश तन्त्रम पार्वतीश्वर संवाद रूपम | Uddish Tantram Parvatishwar Sanvad Rupam

By: लंकापति रावण - Lankapati Ravan


दो शब्द :

इस पाठ में "उड़ीशतं" नामक एक तंत्र का वर्णन किया गया है, जो रावण द्वारा रचित है। इसमें विभिन्न प्रकार के तंत्र प्रयोगों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि मारण, मोहन, स्तंभन, वशीकरण आदि। प्रत्येक प्रयोग का अपना विशेष उद्देश्य और विधि है। पाठ की शुरुआत में यह बताया गया है कि जो व्यक्ति इन तंत्रों का ज्ञान नहीं रखता है, वह अपने कार्य में असफल रहता है। रावण द्वारा रचित इस तंत्र का उद्देश्य भक्तों को विभिन्न समस्याओं से छुटकारा दिलाना है। इसमें शिवजी की आराधना का विशेष उल्लेख है, जिससे कल्याण की कामना की जाती है। इसके बाद, पाठ में विभिन्न प्रयोगों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जैसे अंधता, मूकता, और अन्य विकारों का नाश करने के उपाय। तंत्र में यह भी बताया गया है कि गलत इरादे से किए गए प्रयोगों का फल नकारात्मक हो सकता है। पाठ के अंत में कुछ मंत्रों का जिक्र है जो इन प्रयोगों को सफल बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन मंत्रों के माध्यम से साधक को अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए शक्ति प्राप्त करने की विधि बताई गई है। इस प्रकार, "उड़ीशतं" एक गूढ़ तंत्र है, जो साधक को विभिन्न प्रकार के मानसिक और भौतिक संकटों से उबारने में सहायता करता है।


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