मृच्छकटिक | The little clay cart (Mrcchakatika)

By: रांगेय राघव - Rangeya Raghav
मृच्छकटिक | The little clay cart (Mrcchakatika) by


दो शब्द :

'मृच्छुकटिक' एक प्रसिद्ध संस्कृत नाटक है, जिसका अर्थ "मिट्टी की गाड़ी" है। इसे राजा शूद्रक ने लिखा था, जो एक कवि और संभवतः एक राजा भी थे। नाटक में संस्कृत और प्राकृत दोनों भाषाओं का प्रयोग किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उस समय संस्कृत ऊँचे वर्ग की भाषा थी जबकि प्राकृत आम लोगों की भाषा थी। इस नाटक की कथा दो मुख्य पात्रों, चारुदत्त और वसंतसेना, के इर्द-गिर्द घूमती है। वसंतसेना, एक उच्च श्रेणी की वेश्या, चारुदत्त से प्रेम करती है, जो एक गरीब ब्राह्मण है। नाटक में प्रेम, सामाजिक ढांचे, और राजनीतिक विद्रोह की कहानियाँ शामिल हैं। यह नाटक सामाजिक न्याय और स्त्री अधिकारों के प्रति कवि की सहानुभूति को दर्शाता है, जहां वसंतसेना अंततः एक सम्मानित पत्नी बन जाती है। 'मृच्छुकटिक' का यथार्थवादी चित्रण न केवल प्रेम कहानी को दर्शाता है, बल्कि उस समय के राजनीतिक और सामाजिक विद्रोह को भी उजागर करता है। इसमें व्यापारी वर्ग के उत्थान का प्रतीक भी है, क्योंकि नायक एक व्यापारी है। इसे ब्राह्मणों और अन्य वर्गों के साथ मिलकर अत्याचारी राजा के खिलाफ विद्रोह का चित्रण भी किया गया है। यह नाटक समाज के विभिन्न वर्गों के बीच की गतिशीलता को उजागर करता है, जहां ब्राह्मण, व्यापारी और निम्न वर्ग के लोग मिलकर एक बुरे राजा के खिलाफ खड़े होते हैं। 'मृच्छुकटिक' नाटक का महत्व इसके सामाजिक, राजनीतिक, और मानवीय दृष्टिकोण में निहित है, जो इसे संस्कृत साहित्य में एक विशेष स्थान प्रदान करता है। इस नाटक के माध्यम से शूद्रक ने न केवल एक प्रेम कहानी को प्रस्तुत किया, बल्कि उस समय के सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों को भी उजागर किया, जो आज भी प्रासंगिक हैं। इस प्रकार, 'मृच्छुकटिक' एक गहरा और महत्वपूर्ण नाटक है, जो विभिन्न सामाजिक मुद्दों को छूता है और एक नई दृष्टि प्रदान करता है।


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