अक्षर कुंडली | Akshar Kundali

By: अमृता प्रीतम - Amrita Pritam


दो शब्द :

इस पाठ में अमृता प्रीतम ने "अक्षर कुण्डली" के माध्यम से चेतना, आत्मा और ज्योतिष के गहन विचारों की चर्चा की है। उन्होंने चेतना के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करते हुए उसे एक जिज्ञासु व्यक्ति की अवस्था से जोड़ा है। चेतना के दो पहलू हैं—एक जो अनुभव की उपस्थिति महसूस करता है और दूसरा जो अनुभव की अनुपस्थिति को समझता है। यह अनुभव विभिन्न स्तरों पर होता है, जैसे कि एक पक्षी उड़ान से पहले अपने पंखों का तौलता है। प्रीतम ने भारतीय चिंतन के अनुसार चेतना की सात परतों का उल्लेख किया है, जिसे सप्तऋषियों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। उन्होंने चेतना के विकास और उसके विभिन्न आयामों पर जोर दिया है। इसके साथ ही, वे बताते हैं कि कैसे एक जिज्ञासु व्यक्ति अपनी चेतना का विस्तार करता है और नए अनुभवों को स्वीकार करता है। पाठ में अमृता प्रीतम ने सूर्य के वक्री होने की घटनाओं और उनके प्रभावों का उल्लेख किया है। उन्होंने ज्योतिष के माध्यम से यह बताया है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो यह दुनिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। वे इस विषय में विशेषज्ञ कैलाशपति जी के विचारों को भी साझा करती हैं, जो सूर्य की स्थिति और उसके प्रभावों का अध्ययन करते हैं। अंततः, यह पाठ चेतना, ज्योतिष और आत्मा के संबंध में गहराई से सोचने पर मजबूर करता है। अमृता प्रीतम ने इसे एक जिज्ञासु मन की अवस्था के रूप में प्रस्तुत किया है, जो साधारण शब्दों में गहरे अर्थों को छिपाए हुए है। यह आत्मा, चेतना और उनके अस्तित्व के रहस्यों की खोज में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।


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