संगीत परिचय पार्ट ी | Sangeet Parichaya Part I

By: जीवनलाल - Jivanlal


दो शब्द :

इस पाठ में संगीत-कला के विकास पर चर्चा की गई है और यह बताया गया है कि संगीत की शिक्षा में मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक पुस्तक "संगीत-परिचय" का लेखन किया गया है। लेखक रामावतार जी वीर का उद्देश्य है कि इस पुस्तक के माध्यम से संगीत के प्रारंभिक ज्ञान को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया जाए। पुस्तक में संगीत की परिभाषा, उसकी उत्पत्ति और नाद की व्याख्या की गई है। संगीत को गाने, बजाने और नाचने की कला के सम्मिलन के रूप में परिभाषित किया गया है। पाठ में संगीत के विभिन्न पहलुओं पर सवाल-जवाब के रूप में जानकारी दी गई है, जिससे विद्यार्थियों को संगीत का आधारभूत ज्ञान प्राप्त हो सके। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि संगीत की शिक्षा के लिए पहले से उपलब्ध पुस्तकों की कमी को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक का निर्माण किया गया है। इसमें संगीत की स्वर-लिपि, रागों और तालों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। पुस्तक का उद्देश्य संगीत के विद्यार्थियों को एक ठोस आधार प्रदान करना है ताकि वे संगीत में आगे बढ़ सकें। लेखक ने संगीतज्ञों से सुझाव देने की अपील भी की है, ताकि भविष्य में पुस्तक के संस्करणों को और बेहतर बनाया जा सके। अंत में, लेखक ने संगीत शिक्षा में अपने अनुभवों और कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए, संगीत के प्रति बढ़ते रुचि को भी दर्शाया है।


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