कल्याण पुराण कथानक | Kalyaan Puran Kathanak

By: राधेश्याम खेमका - Radheshyam Khemka


दो शब्द :

इस पाठ में विभिन्न देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें दुर्गा, काली, उमा, राधा, सीता, रुक्मिणी, और शिव की स्तुति की गई है। पाठ में इन देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना की गई है, ताकि भक्तों के दुखों का नाश हो सके और उन्हें सुख और शांति मिले। भगवान नारायण को भी स्मरण किया गया है, जिनकी कृपा से संसार के भय और पीड़ाएँ समाप्त होती हैं। पाठ में ध्यान और भक्ति के माध्यम से आत्मा के कल्याण का उल्लेख है। यह भी बताया गया है कि योगी और भक्त अपने पवित्र मन से भगवान की आराधना करते हैं, और उनके चरणों की वंदना करते हैं। इस पाठ में यह संदेश भी है कि भगवान की भक्ति के माध्यम से मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बना सकता है और आत्मिक विकास कर सकता है। अंत में, पाठ में पवित्र ग्रंथों, जैसे श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीरामचरितमानस के अध्ययन और प्रचार की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, जिससे मानवता को कल्याण की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके। इस प्रकार, पाठ का सार मुख्य रूप से भक्ति, ध्यान, और आत्मिक विकास पर केंद्रित है, जिसमें देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन किया गया है और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की गई है।


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