काव्य-प्रकाश | Kavya-prakash
- श्रेणी: काव्य / Poetry संस्कृत /sanskrit साहित्य / Literature
- लेखक: आचार्य शिवराज - Aachary Shivraj
- पृष्ठ : 591
- साइज: 85 MB
- वर्ष: 1980
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दो शब्द :
यह पाठ "काव्यप्रकाश" नामक ग्रंथ की प्रस्तावना और उसके व्याख्यात्मक तत्वों का सारांश प्रस्तुत करता है। इसमें काव्य और साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता, उसकी प्राचीनता, और विविध टीकाओं का उल्लेख किया गया है। काव्यप्रकाश की टीका विभिन्न विद्वानों द्वारा रचित है, जो काव्य के सिद्धांतों और उनकी व्याख्या में सहायता करती है। पाठ में बताया गया है कि काव्यप्रकाश पर कई टीकाएँ उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ कठिन हैं और कुछ सरल। महेश्वर भट्टाचार्य ने इस ग्रंथ की टीका पर विशेष ध्यान दिया है, ताकि विद्यार्थियों को काव्य के अध्ययन में मदद मिल सके। पाठ में काव्य के विभिन्न अंगों की चर्चा की गई है, जैसे कि रस, भाव, और काव्य के लक्षण। इसके साथ ही, काव्य की परिभाषा और उसके उद्देश्य पर भी प्रकाश डाला गया है। यह भी बताया गया है कि काव्य के अध्ययन से न केवल विद्या का विस्तार होता है, बल्कि व्यक्तित्व का भी विकास होता है। कुल मिलाकर, इस पाठ का उद्देश्य काव्यप्रकाश के महत्व को समझाना और उसके अध्ययन में सहायक विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करना है।
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