योग - चिकित्सा | Yog - Chikitsa

By: अत्रिदेव विद्यालंकार - Atridev vidyalankar


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक ने एक ऐसी पुस्तक की आवश्यकता की बात की है, जो नए विद्यार्थियों और चिकित्सकों को रोग के अनुसार औषधि का चयन करने में मदद कर सके। लेखक ने यह अनुभव किया कि औषधि के चयन के साथ-साथ उसके अनुपान और मात्रा का निर्णय भी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अगर वे सभी विषयों को एक ही पुस्तक में शामिल करते, तो उसका आकार बहुत बड़ा हो जाता। इसलिए, उन्होंने योग निर्माण प्रक्रिया को छोड़कर रोग और अनुपान के संदर्भ में औषधियों का उल्लेख किया है। लेखक ने उल्लेख किया कि चौखम्या संस्कृत पुस्तकालय से उन्हें कुछ उपयोगी पुस्तकें मिलीं, जिनसे उनकी शोध प्रक्रिया आसान हुई। उन्होंने विभिन्न ज्ञानी व्यक्तियों से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन का भी उल्लेख किया है। पुस्तक के लेखन के दौरान उन्हें कई प्राध्यापकों से सुझाव और दिशा-निर्देश मिले, जिससे पुस्तक में आवश्यक विषयों का समावेश सही तरीके से किया जा सका। अंत में, लेखक ने प्रकाशक का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस नए विषय पर पुस्तक प्रकाशित करने का कार्य किया। लेखक ने यह भी कहा कि इस प्रकार की पुस्तकें आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं हो सकतीं, लेकिन साहित्य सेवा का एक महत्वपूर्ण कार्य हैं। उन्होंने पाठकों से सहयोग और समर्थन की अपेक्षा की है।


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