योग दर्शन | Yog Darshan
- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद योग / Yoga साधना /sadhana साहित्य / Literature
- लेखक: पं राजाराम - Pt. Rajaram Profesar
- पृष्ठ : 234
- साइज: 23 MB
- वर्ष: 1922
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दो शब्द :
यह पाठ योग के विभिन्न पहलुओं और उनके महत्व का वर्णन करता है। इसमें योग के चार पादों का उल्लेख किया गया है: समाधिपाद, साधनपाद, विभूतिपाद, और कैवल्यपाद। हर पाद का अपना विशेष महत्व है और यह योग के साधनों, विभूतियों और मोक्ष के प्राप्ति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। पाठ में यह बताया गया है कि योग एक ऐसा साधन है जो व्यक्ति को आत्मा और परमात्मा के दर्शन का मार्ग दिखाता है। यह व्यक्ति को उसकी जन्मों की जानकारी देने के साथ-साथ धर्म और अधर्म के फल की समझ भी प्रदान करता है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने असली स्वरूप को पहचान सकता है और प्रकृति के भेद को समझ सकता है। इसमें योग के साधनों का भी वर्णन किया गया है, जिसमें ध्यान और समाधि का महत्व है। समाधि के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख और उनके उपयोगी विधियों का वर्णन किया गया है। योग साधनों के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त कर सकता है। योग का मूल वेदों में पाया जाता है, जहाँ इसे उपासना और ज्ञान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। पाठ में उल्लेखित है कि योग का अभ्यास करने से व्यक्ति अपने अंतर्मन की गहराइयों में जाकर आत्मा के साक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है। संक्षेप में, यह पाठ योग की महत्ता, उसके साधनों और उसके द्वारा प्राप्त होने वाले ज्ञान और मोक्ष के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
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