गौतम धर्म सूत्र | Gautam Dharma Sutra

By: डॉ. उमेशचन्द्र पाण्डेय - Dr. Umeshchandra Pandey


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय साहित्य, विशेषकर सूत्र साहित्य के महत्व और उसकी विशेषताओं पर चर्चा की गई है। गोत्स-धर्म-सूत्र की भूमिका में लेखक ने भारतीय संस्कृति और साहित्य के संबंध में विचार प्रस्तुत किए हैं। सूत्र साहित्य को भारतीय ज्ञान और चिन्तन का अनूठा वर्ग माना गया है, जिसमें ज्ञान का संक्षिप्त और सारगर्भित प्रस्तुतिकरण होता है। पाठ में बताया गया है कि सूत्रों की रचना कई शताब्दियों के ज्ञान का परिणाम है और ये वैदिक साहित्य से जुड़ते हैं। लेखक ने सूत्रों की शैली और उनके अध्ययन पर पश्चिमी विद्वानों की आलोचनाओं का उल्लेख किया है। सूत्रों की संक्षिप्तता और गहराई उनकी विशेषता है, और इनका शाब्दिक अनुवाद करना कठिन है। पाठ में यह भी कहा गया है कि सूत्र साहित्य का अध्ययन करने से भारतीय संस्कृति और धार्मिक जीवन की गहराई को समझा जा सकता है। इस ग्रंथ के लेखन का श्रेय चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस के प्रबंधकों को दिया गया है जिन्होंने भारतीय संस्कृति की सेवा में निरंतर प्रयास किए हैं। लेखक ने अपने प्रियजनों के प्रति आभार व्यक्त किया है और आशा व्यक्त की है कि उनका श्रम निष्फल नहीं होगा। अंत में, पाठ में सूत्र साहित्य की रचनात्मकता तथा उनकी विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।


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